About Shodashi

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पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिः सम्पदां या

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥९॥

देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥

यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।

Shodashi’s Electricity fosters empathy and kindness, reminding devotees to technique Other individuals with comprehending and compassion. This benefit promotes harmonious interactions, supporting a loving method of interactions and fostering unity in family members, friendships, and Neighborhood.

This mantra retains the ability to elevate the head, purify ideas, and join devotees to their bigger selves. Here i will discuss the intensive benefits of chanting the Mahavidya Shodashi Mantra.

The path to enlightenment is commonly depicted being an allegorical journey, Using the Goddess serving because the emblem of supreme power and Strength that propels the seeker from darkness to mild.

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

They had been also blessings to realize materialistic blessings from unique Gods and Goddesses. For his consort Goddess, he enlightened people With all the Shreechakra and as a way to activate it, 1 must chant the Shodashakshari Mantra, that's also called the Shodashi mantra. It is alleged to get equal to all of the sixty four Chakras place together, along with their Mantras.

कामेश्यादिभिराज्ञयैव ललिता-देव्याः समुद्भासितं

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

हादिः काद्यर्णतत्त्वा सुरपतिवरदा कामराजप्रदिष्टा ।

तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, more info उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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